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Greater Noida : गौतमबुद्धनगर से शुरू हुआ किसान आंदोलन लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बुधवार देर रात को एक बार फिर से किसानों को जीरो पॉइंट से गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के बाद आंदोलन के और ज्यादा तेज होने की प्रबल संभावनाएं बन गईं है।  क्योंकि उस दिन के बाद से किसान लगातार गिरफ्तारी देने पहुंच रहे हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने पंचायत बुलाकर जेल भेजे गए किसानों के रिहा किए जाने तक लगातार जेल भरो आंदोलन चलाने का भी ऐलान किया था। सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में आंदोलनरत किसान गौतमबुद्धनगर समेत पूरे एनसीआर में यूपी सरकार के चल रहे प्रोजेक्टों में अड़गा डाल सकते हैं। जिसके चलते इन प्रोजेक्टों पर खतरा मंड़राता नजर आ रहा है।

बता दें कि इन दिनो नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद समेत पूरे एनसीआर में यूपी सरकार के कई बड़े प्रोजेक्टों पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। जिनमें जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, न्यू नोएडा सिटी, गाजियाबाद की हरनंदीपुरम टाउनशिप शामिल हैं। वहीं अगर एनसीआर में आने वाले उत्तर प्रदेश के सारे शहरों की बात करें तो नया आगरा, न्यू मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर से लेकर हापुड़ तक तमाम बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। ग्रेटर नोएडा में तो सरकार बड़ा एजुकेशन हब बना रही है, जिसमें विदेशी यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज से लेकर इंडस्ट्रियल पार्क तक शामिल हैं। लेकिन इस बीच नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और यमुना अथॉरिटी की चिंता दिन पर दिन तेज हो रहे किसानों के आंदोलन ने बढ़ा दी है। इसके अलावा किसानों की मांगे भी अथॉरिटी के अधिकारियों को अच्छी खासी भारीभरकम दिखाई पड़ रही हैं। किसानों की इन मांगों से बड़े प्रोजेक्ट पर खतरा मंडराने लगा है।

क्या हैं किसानों की मांगें

आंदोलन कर रहे किसानों की मांग है कि 1997 से अधिग्रहण की गई सारी जमीन के बदले सभी किसानों को 10 फीसदी अतिरिक्त विकसित भूखंड और 64.70 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। जोकि अथॉरिटी के लिए सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है। किसानों ने नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार, 4 गुना मुआवजा भी मांगा है। किसानों की मांगों पर सुनवाई के लिए बनीं उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को भी तुरंत लागू करने की बात इसमें है। यह जानकारी सामने आई है कि पिछले 27 सालों में जिन किसानों से भूमि अधिग्रहीत की है, उनमें से 16,500 को ही फीसदी भूखंड मिले हैं। जबकि 6,070 किसान अभी भी पांच फीसदी फूखंड के लिए अभी भी चक्कर लगा रहे हैं।

अथॉरिटी के अधिकारियों की माने तो किसानों की इन मांगों को पूरा करने में परियोजनाओं का खर्च दोगुने से भी ज्यादा बढ़ सकता है। ऐसे में किसानों का लगातार बढ़ता आंदोलन गौतमबुद्धनगर जिले समेत पूरे एनसीआर में चल रहे यूपी सरकार के बड़े प्रोजेक्टों के लिए ग्रहण की तरह दिखाई पड़ रहा है। क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा का साफ ऐलान है कि जब तक उनकी यह मांगे नहीं मानी जाती हैं उनका आंदोलन निरंतर तेज होता रहेगा और वो अपनी मांगों के माने जाने तक आंदोलन को किसी भी हद तक ले जाने के लिए तैयार हैं। ऐसे में किसानों के इस आंदोलन ने अथॉरिटी और यूपी सरकार के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है।

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