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इस 12 फीट ऊंचे और 25 फीट चौड़े सिंघासन में लगभग 2000 तोले सोना और 1 लाख तोले चांदी का उपयोग हुआ है. यह दिव्य सिंहासन ठाकुर बांके बिहारी को 15 अगस्त 1947 को अर्पित किया गया था.

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