इस 12 फीट ऊंचे और 25 फीट चौड़े सिंघासन में लगभग 2000 तोले सोना और 1 लाख तोले चांदी का उपयोग हुआ है. यह दिव्य सिंहासन ठाकुर बांके बिहारी को 15 अगस्त 1947 को अर्पित किया गया था. Post navigation वाह! दिवाली के बाद भी रहेगी मौज, नवंबर में मिलेंगी इतनी छुट्टियां खुलेआम ऑफर दे रही हैं लड़कियां, लड़कों को करती हैं फोन, कहती हैं- आ जाओ